आज सड़क से निकला तो तेरी याद आई
कुछ नहीं बदला है अब भी
अब भी उन सड़कों के सीने पे उदास से टायर लिपटते हैं
अब भी बारिश होती है लेकिन
भीगा नहीं पाती शीशों के लबों को
खुद भीग जाते हैं वो अपने बोझिल अश्कों से
और तकते रहते हैं मेरी बगल वाली खाली सीट को
और वो सीट बेल्ट अब भी तरसती है
तुझसे लिपट जाने को तेरी खुशबू पाने को
photo credit: Go-tea 郭天 Relax via photopin (license)
No comments:
Post a Comment